जांजगीर-चांपा. स्वास्थ्य सहित अन्य विभागों में शासकीय नौकरी दिलाने के नाम पर जिले समेत कई जिलों के बेरोजगारों से लाखों की ठगी करने वाले दो सगे भाईयों को एसआईटी के निर्देश पर कोतवाली पुलिस ने मंगलवार को अलग-अलग ठिकानों से गिरफ्तार किया है। पुलिस गिरफ्त में आया मुख्य आरोपी कोरबा जिले में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत् है, जो धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बाद से ठिकाने बदल-बदलकर रह रहा था। वहीं उसका छोटा भाई नैला के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पद पर कार्यरत है।
कोतवाली थाना प्रभारी शीतल सिदार ने बताया कि ग्राम धाराशिव निवासी स्वास्थ्यकर्मी अनिल कुमार पाण्डेय पिता घनश्याम पाण्डेय एवं उसके छोटे भाई स्वास्थ्यकर्मी अतुल पाण्डेय ने स्वास्थ्य सहित अन्य विभागों में शासकीय नौकरी दिलाने के नाम पर शिवरीनारायण थाना अंतर्गत ग्राम बिलारी निवासी व्यासनारायण साहू पिता रामकृष्ण साहू और बिर्रा निवासी नंदकुमार कश्यप पिता श्रीराम कश्यप से तीन लाख तीस हजार रुपए लिए थे। रुपए लेने के बाद दोनों भाईयों ने उन्हें जल्द ही नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया था। कई महीने गुजर जाने के बाद भी नौकरी नहीं मिलने पर व्यासनारायण और नंदकुमार ने दोनों भाईयों से संपर्क किया तो वे गोलमोल जवाब देने लगे। इस बीच दोनों बेरोजगारों ने उनसे कई बार संपर्क किया, लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तब उन्होंने दी गई रकम लौटाने की बात कही। मगर दोनों भाईयों ने उन्हें रकम नहीं लौटाई। इसी बीच व्यासनारायण और नंदकुमार को कहीं से खबर मिली कि इन दोनों भाईयों ने और भी कई बेरोजगारों को अपने झांसे में लेकर ठगी की है। सबकुछ स्पष्ट होने के बाद वे पुलिस थाने पहुंचे, जहां उनकी शिकायत पर स्वास्थ्यकर्मी अनिल कुमार पाण्डेय पिता घनश्याम पाण्डेय एवं उसके छोटे भाई स्वास्थ्यकर्मी अतुल पाण्डेय के खिलाफ भादवि की धारा 420 एवं 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया। थाने में मामला दर्ज होने के बाद दोनों आरोपी फरार चल रहे थे। हाल ही में बिलासपुर आईजी के निर्देश पर इस केस की फाइल एसआईटी के सुपुर्द की गई थी। एसआईटी ने मामले से संबंधित सभी पहलुओं पर जांच के बाद कोतवाली पुलिस को दोनों आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे। एसआईटी के निर्देश पर कोतवाली पुलिस ने मंगलवार को मुख्य आरोपी अनिल पाण्डेय को कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के जटगा से गिरफ्तार किया तो वही उसके छोटे भाई अतुल पाण्डेय को शहर से गिरफ्तार किया गया। कोतवाली टीआई शीतल सिदार का कहना है कि दोनों आरोपियों को एसआईटी के सुपुर्द किया जाएगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई एसआईटी करेगी।
आईजी से लगाई थी गुहार
ठगी के शिकार व्यासनारायण और नंदकुमार जब अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने कोतवाली थाने पहुंचे, तब तत्कालीन थाना प्रभारी ने उनकी रिपोर्ट दर्ज करने से साफ इंकार कर दिया। वे दोनों कई दिनों तक कोतवाली थाने का चक्कर काटते रहे, लेकिन उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। थक-हारकर दोनों ने पुलिस अधीक्षक से शिकायत की, परन्तु यहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। ऐसे में उन्होंने पूरे मामले की शिकायत बिलासपुर आईजी से की, जिसके बाद मामले में एफआईआर दर्ज तो हुआ, लेकिन कोतवाली पुलिस ने करीब छह माह तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की। नए आईजी के निर्देश पर हाल ही में यह मामला जब एसआईटी के पास पहुंचा, तब दोनों जालसाजों की गिरफ्तारी संभव हो सकी।
पुलिस बता रही थी फरार
इस मामले में कोतवाली पुलिस का रवैया शुरू से ही अजीब रहा है। कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी दोनों जालसाजों को फरार बता रहे थे, जबकि वे दोनों बड़े आराम से अपने-अपने कार्य स्थल पर शासकीय नौकरी कर रहे थे। इसकी शिकायत भी प्रार्थी ने पुलिस अधिकारियों से की थी, लेकिन उन्होंने उनकी बातों को अनसुना कर दिया, तब ठगी के शिकार हुए दोनों बेरोजगारों ने सूचना का अधिकार के तहत स्वास्थ्य विभाग से उनकी विस्तृत जानकारी प्राप्त की और उस जानकारी को पुलिस अधिकारियों के सुपुर्द किया, फिर भी स्थानीय अधिकारियों ने मामले को दबाकर रखा था, जिसके कारण दोनों जालसाज छह महीनें तक बड़े आराम से स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करते रहे।
राजीनामा करने का दिया मौका
बताया जा रहा है कि इस मामले में ले-देकर तो एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन बात जब दोनों जालसाजों की गिरफ्तारी की आई तो कोतवाली पुलिस ने अपने हाथ खड़े कर दिए। पीडि़तों का कहना है कि कोतवाली पुलिस ने आरोपियों से राजीनामा करने को लेकर उन पर भरसक दबाव बनाया, लेकिन जब बात नहीं बनी तो कोतवाली पुलिस ने लेनदेन कर उन्हें फरारी काटने का अवसर दे दिया। इस बीच दोनों जालसाजों ने कई मर्तबा प्रार्थी पक्ष से संपर्क कर राजीनामा की पेशकश भी की। एफआईआर दर्ज होने के महीनों बाद उनकी गिरफ्तारी संभव हुई है।
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