सोमवार, 7 मई 2018

अंत्यावसायी वित्त निगम के कार्यपालन अधिकारी "गुप्ता" पर होना है एफआईआर मगर उस पर मेहरबान रमन सरकार, हितग्राहियों को लोन दिलाने के नाम पर अफसर ने की है ठगी

राजेंद्र राठौर@जांजगीर-चांपा. छत्तीसगढ़ अंत्यावसायी वित्त एवं विकास निगम में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है, जो परत-दर-परत उजागर हो रहा है। ताजा मामला हितग्राहियों को लोन दिलवाने के नाम पर लाखों की ठगी से संबंधित है। इस कृत्य को किसी छोटे कर्मचारी ने नहीं, बल्कि जिले में पदस्थ रहे कार्यपालन अधिकारी ने अंजाम दिया है। हद की बात तो यह है कि ठगी के शिकार लोगों की शिकायत के बाद तत्कालीन कलेक्टर के निर्देश पर पामगढ़ एसडीएम द्वारा की गई जांच में इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है, जिसके आधार पर तत्कालीन कलेक्टर ने संबंधित अफसर के खिलाफ एफआईआर एवं विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा की है, लेकिन शासन स्तर तक पहुंच होने के चलते दागी अफसर न केवल पद पर बना हुआ है, बल्कि मलाई भी खा रहा है। 

छत्तीसगढ़ अंत्यावसायी वित्त एवं विकास निगम भ्रष्टाचार एवं घोटालों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा है। चाहे फर्जी लोन बांटने का मामला हो या फिर नियम-विरूद्ध कर्मचारियों की भर्ती एवं नियमितिकरण का। प्रत्येक मामले में जांच के बाद भ्रष्टाचार की पुष्टि हो चुकी है। इसके बावजूद भ्रष्टाचार में संलिप्त अफसरों को शासन-प्रशासन प्रश्रय दे रहा है। भ्रष्टाचार एवं जालसाजी से संबंधित कुछ ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है, जिसने तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी रमेश गुप्ता को कटघरे में खड़ा किया है। दरअसल, जिले के पामगढ़ विकासखंड के अंतर्गत ग्राम जोगीडीपा के गेंदराम ताम्रकार, गंगाबाई, यशोदा मरावी एवं अन्य लोगों ने तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी रमेश गुप्ता पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। तीन वर्ष पहले कलेक्टर से की गई शिकायत में उन्होंने कहा था कि जिले के तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी रमेश गुप्ता ने अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 2008-09 में उन्हें एससी स्मॉल बिजनेस योजना के तहत एक-एक लाख रुपए ऋण दिलवाने का झांसा देकर ठगा। संबंधितों का आरोप है कि कार्यपालन अधिकारी गुप्ता ने ऋण स्वीकृत करवाने के एवज में उनसे 50-50 हजार रुपए भी लिए, लेकिन महीनों गुजर जाने के बाद भी ऋण नहीं दिलवाया। शिकायत में कहा गया था कि काफी इंतजार के बाद ऋण नहीं मिलने पर उन्हें ठगी का अहसास हुआ, जिसके बाद ही उन्होंने शिकायत पेश की है। तत्कालीन कलेक्टर ने संबंधितों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए पामगढ़ एसडीएम को मामले की जांच के निर्देश दिए तथा कहा कि जांच प्रतिवेदन सात दिवस के भीतर दें, ताकि मामले में शीघ्र आवश्यक कार्यवाही की जा सके। तत्कालीन कलेक्टर के निर्देश पर पामगढ़ एसडीएम ने अपना जांच प्रतिवेदन नियत समयावधि में दे दिया, जिससे इस बात की पुष्टि हो गई कि तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी ने वाकई में संबंधितों से धोखाधड़ी की है। एसडीएम के जांच प्रतिवेदन के आधार पर तत्कालीन कलेक्टर ने कार्यपालन अधिकारी गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने सहित विभागीय कार्यवाही से संबंधित पत्र राज्य शासन एवं संबंधित विभाग को लिखा। बता दें कि तत्कालीन कलेक्टर के पत्र के आधार पर दागी अफसर गुप्ता के खिलाफ एफआईआर तो होनी ही थी, साथ ही विभागीय कार्यवाही भी होनी थी, लेकिन इस मामले को शासन स्तर से दबा दिया गया है। यही वजह है कि कार्यपालन अधिकारी गुप्ता बड़े आराम से वर्तमान में रायगढ़ जिले में अपनी नौकरी कर रहा है। बताया यह भी जाता है कि कार्यपालन अधिकारी गुप्ता ने जिस तरह से जांजगीर-चांपा जिले में भ्रष्टाचार किया है, उससे भी कहीं बढक़र उनके द्वारा रायगढ़ जिले में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है। बहरहाल, दागी अफसर पर कार्यवाही नहीं होने से आक्रोशित शिकायतकर्ताओं ने शासन-प्रशासन को एक बार फिर पत्र लिखकर मामले में त्वरित संज्ञान लेते हुए कार्यवाही का आग्रह किया है।
 

पुलिस अधीक्षक ने झाड़ लिया पल्ला

ठगी के शिकार हुए लोगों की शिकायत पर तत्कालीन कलेक्टर ने संयुक्त कलेक्टर के मार्फत पुलिस अधीक्षक जांजगीर-चांपा को भी पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि पामगढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम जोगीडीपा निवासी गेंदराम, सुरेशकुमार एवं अन्य आठ लोगों की शिकायत मिली है, जिसमें उन्होंने अंत्यावसायी वित्त निगम के कार्यपालन अधिकारी रमेश गुप्ता पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है, जिसकी छायाप्रति पत्र के साथ प्रेषित की जा रही है। पत्र में आगे कहा गया था कि शिकायत के आधार पर नियमानुसार आवश्यक जांच एवं कार्यवाही कर की गई कार्यवाही से आवेदक को सूचित करते हुए कलेक्टर कार्यालय को भी अवगत कराना सुनिश्चित करें। इस पत्र के आधार पर पुलिस अधीक्षक को मामले की मामले की जांच कराकर कार्यपालन अधिकारी गुप्ता के खिलाफ उचित कार्यवाही करनी थी, लेकिन पुलिस प्रशासन ने भी आवश्यक कार्यवाही करने के बजाय शिकायत की फाइल रद्दी की टोकरी में डाल दी। यही वजह है कि संबंधित अफसर के खिलाफ अब तक किसी तरह की कानूनी कार्यवाही नहीं हुई है।
 

यह है पामगढ़ एसडीएम का प्रतिवेदन

पामगढ़ के तत्कालीन एसडीएम ने कलेक्टर को प्रेषित जांच प्रतिवेदन में कहा है कि ग्राम जोगीडीपा निवासी शिकायतकर्ता गेंदराम ताम्रकार एवं अन्य द्वारा जिला अंत्यावसायी कार्यालय के तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी रमेश गुप्ता के खिलाफ अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 2008-09 में उनके साथ धोखाधड़ी कर ठगी करने की शिकायत की थी, जिसके संबंध में जांच प्रतिवेदन चाही गई है। प्रतिवेदन में आगे कहा गया है कि शिकायकर्ता गेंदराम पिता बुधराम सूर्यवंशी, गंगाबाई पति तेरसराम मधुकर, तिरूपति प्रसाद पिता सोनाऊराम पटेल, कालीचरण पिता धनसाय मानिकपुरी, सुरेश कुमार पिता रमेशर सूर्यवंशी, जलेश्वर पिता बेदराम सूर्यवंशी एवं यशोदाबाई पति आत्माराम गोड़ का कथन अंकित किया गया। शिकायतकर्ताओं के कथन से स्पष्ट होता है कि तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी रमेश गुप्ता द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 2008-09 में आवेदनकों से धोखाधड़ी कर ठगी किया जाना प्रतीत होता है। अत: तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी गुप्ता के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही किया जाना उचित होगा।

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