सोमवार, 7 मई 2018

श्रमिकों का आंदोलन शुरू, छावनी में तब्दील हुआ केएसके प्लांट, प्लांट बिकने की खबर से आक्रोश, नियुक्ति पत्र की मांग कर रहे श्रमिक, प्रशासन और पुलिस के अफसर मौके पर मौजूद, प्रबंधन के बीच चल रही वार्ता

राजेन्द्र राठौर@जांजगीर-चांपा. कर्ज में डूबे होने के चलते एशिया के सबसे बड़े पॉवर प्लांट केएसके महानदी के बिकने की खबर ने यहां के कर्मचारियों और मजदूरों के लिए नया संकट खड़ा कर दिया है। यहां कार्यरत श्रमिक एक ओर जहां स्थायी नौकरी और नियुक्ति पत्र की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्लांट के बिकने की खबर ने माहौल और गरमा दिया है। संभवत: यही वजह है कि केएसके प्रबंधन के खिलाफ यहां कार्यरत श्रमिक एवं विस्थापित सोमवार की दोपहर से एक बार फिर लामबंद हो गए हैं। आलम यह है कि केएसके पॉवर प्लांट के आसपास के क्षेत्र को पुलिस छावनी में तब्दील कर दी गई है। वहीं पुलिस एवं प्रशासन के अफसर मौके पर मौजूद रहकर स्थिति संभालने की जद्दोजहद कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में प्लांट प्रबंधन की वार्ता भी चल रही है, जिसके नतीजे के आधार पर आगे की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

दरअसल, अकलतरा विकासखंड के ग्राम नरियरा में संचालित केएसके महानदी पॉवर प्लांट शुरू से ही विवादों के घेरे में रहा है। कंपनी प्रबंधन के लचर कार्यप्रणाली के चलते अब बैंक द्वारा दिए गए लोन को पटाने में भी हिलाहवाला किया जा रहा है। ऐसे में प्लांट के बिकने की खबर ने यहां के कर्मचारियों व मजदूरों के लिए संकट खड़ा कर दिया है। बता दें कि 36 सौ मेगावाट का केएसके महानदी पॉवर प्लांट के भू-विस्थापित परिवार के सैकड़ों सदस्य आदर्श पुनर्वास नीति के तहत प्लांट में नौकरी के लिए कतार में खड़े है। बीते वर्षों में दर्जनों बार इसके लिए धरना-आंदोलन से लेकर जिला प्रशासन की अगुवाई में त्रिपक्षीय वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन अब तक बेहतर परिणाम नहीं निकला है। इधर, कर्ज के चलते प्लांट की बिक्री की खबर ने लोगों को सकते में डाल दिया है। बताया जा रहा है कि प्लांट प्रबंधन पर करीब 18 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज है। इधर, इस प्लांट से अभी 6 मेगावाट की दो इकाईयों से ही विद्युत उत्पादन हो रहा है। चर्चा है कि प्लांट को पॉवर फाईनेस कार्पोरेशन के लिए एसबीआई कैपिटल ने नए खरीददार की तलाश शुरू कर दी है, जिसके लिए पिछले दिनों बीड मंगाने निविदा का प्रकाशन किया गया है। मीडिया के जरिए प्रसारित इस खबर से इस प्लांट में कार्यरत श्रमिकों एवं भू-विस्थापितों में एक बार फिर भविष्य को लेकर संशय की स्थिति निर्मित हो गई है। संभवत: यही वजह है कि प्लांट में कार्यरत श्रमिकों एवं भूविस्थापितों ने सोमवार की दोपहर से एक बार फिर प्लांट प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्लांट में कार्यरत श्रमिक जहां स्थायी नौकरी और नियुक्ति पत्र की मांग कर रहे हैं। वहीं भू-विस्थापित परिवार के सदस्य नौकरी एवं पुनर्वास नीति के पालन संबंधी मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। इधर, प्लांट में धरना-आंदोलन होने की खबर से पुलिस एवं प्रशासन भी सकते में आ गया है। बताया जा रहा है कि धरना-आंदोलन की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे पुलिस एवं प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी वहां स्थिति को नियंत्रित करने की जद्दोजहद कर रहे हैं। मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि प्लांट प्रबंधन के साथ वार्ता चल रही है, जिसके नतीजे आने के बाद ही वस्तुस्थिति स्पष्ट होगी।
 

मुख्य द्वार पर ताला, कर्मचारी बने बंधक

प्लांट के मुख्य द्वार के पास श्रमिकों एवं भू-विस्थापितों के आंदोलन एवं उग्र प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए प्लांट प्रबंधन ने मुख्य द्वार पर ताला लगवा दिया है। वहीं प्लांट के अंदर मौजूद कर्मचारियों को शिफ्ट ड्यूटी खत्म होने के बाद भी बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। एक तरह से कहा जाए तो कर्मचारियों को प्लांट के अंदर ही बंधक बना लिया गया है। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि उनकी ड्यूटी दोपहर दो बजे खत्म हो चुकी है, लेकिन शाम साढ़े छह बजे तक उन्हें बाहर निकलने नहीं दिया गया है। वहीं गेट के बाहर कर्मचारियों को भी ड्यूटी के लिए अंदर जाने नहीं दिया जा रहा है। मौके पर काफी तनाव की स्थिति है, जिसके मद्देनजर पुलिस बल को चप्पे-चप्पे पर तैनात किया गया है।
 

रनिंग प्लांट को श्रमिकों ने करवाया बंद

बताया जा रहा है कि धरना-आंदोलन शुरू होने की खबर के बाद प्लांट के अंदर मौजूद श्रमिकों ने 500 मेगावॉट के रनिंग प्लांट को बंद करवा दिया है, जिसके चलते करीब चार घंटे से विद्युत उत्पादन ठप है। इसके साथ ही अंदर में मौजूद श्रमिक भी प्लांट प्रबंधन के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर कर रहे हैं। इधर, मुख्य द्वार के ठीक सामने बड़ी संख्या में आंदोलनकारी मौजूद हैं, जो नारेबाजी कर प्रबंधन के प्रति अपना गुस्सा जता रहे हैं। बताया जा रहा है कि आंदोलन की खबर पाकर कई दलों के नेता भी लगातार मौके पर पहुंचकर श्रमिकों के साथ अपनी आवाज बुलंद करने में जुट रहे हैं।

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