जांजगीर-चांपा. केन्द्र और राज्य सरकार एक ओर जहां लोगों को साक्षर बनाने का प्रयास रही है, वहीं जिले के ग्रामीण इलाकों में रूढ़ीवादी परंपरा अभी भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। शिक्षित लोग भी पुरानी परंपराओं को निभाते हुए अपनी नाबालिग लडक़े-लड़कियों की शादी करवा रहे हैं। ऐसा ही मामला पामगढ़ विकासखंड क्षेत्र के ग्राम डोंगाकोहरौद में गुरूवार को एक बार फिर सामने आया, जहां परिजन एक 17 वर्षीया लडक़ी की शादी नियम-कायदों को ताक पर रखकर करवा रहे थे। हालांकि प्रशासन की पहल पर नाबालिग की शादी रूक गई।
जिले में बाल विवाह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। आए दिन नाबालिग लडक़ा और लडक़ी फेरे ले रहे हैं। बाल विवाह रोकने के लिए जिले में बाल सरंक्षण समिति जरूरी बनाई गई है, लेकिन इसमें शामिल अधिकारी सिर्फ उन तक आने वाले सूचनाओं पर ही कार्यवाही करते हैं। गांवों में बाल विवाह रोकने कोई प्रयास भी नहीं किया जा रहा है। वहीं नजर रखने के लिए सिर्फ ग्राम स्तर पर समिति बना दी गई है, लेकिन अधिकांश मामलों में वे भी दखल नहीं देते हैं। यही कारण है कि वर्तमान में जिले में 21 वर्ष से कम लडक़ा और 18 वर्ष से कम लड़कियों की शादी हो रही है। गुरूवार को जिले के पामगढ़ विकासखंड के ग्राम डोंगाकोहरौद में भी एक नाबालिग लडक़ी की शादी करवाई जा रही थी, जिसकी सूचना पुलिस और प्रशासन को समय रहते मिल गई, जिससे नाबालिग की शादी होते-होते टल गई। दरअसल, पामगढ़ थाने में तीन मई को पामगढ़ विकासखंड क्षेत्र के ग्राम डोंगाकोहरौद में बाल विवाह के संबंध में सूचना मिलने पर थानेदार ने उक्त सूचना से तत्काल पुलिस अधीक्षक नीतु कमल को अवगत कराया। एसपी से मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पंकज चंद्रा एवं मुख्यालय डीएसपी निकोलस खलखो के निर्देशन तथा पामगढ़ के न्यायिक मजिस्ट्रेट सतीश खाखा के मार्गदर्शन में थानेदार अपने साथ महिला एवं बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक हेमलता साहू तथा नायब तहसीलदार नेत्रप्रभा सिदार एवं थाना स्टॉफ को लेकर ग्राम डोंगाकोहरौद पहुंचे। वहां उन्होंने शादी घर में पहुंचकर लडक़ी की अंकसूची की जांच की, जिसमें जन्मतिथि 31 अक्टूबर 2001 लिखा होना पाया गया, जिसके आधार पर लडक़ी की उम्र 17 वर्ष 7 माह होने की पुष्टि हुई। परिजनों से पूछताछ में पता चला कि 4 मई को बारात आने वाली है, जिसे स्थगित करने की बात उनसे कही गई। साथ ही समझाइश दी गई कि लडक़ी अभी नाबालिग है और कम उम्र में उसकी शादी कराई जाती है तो परिजन के साथ-साथ शादी में शामिल होने वाले तथा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी लोग अपराधी होंगे। टीम ने कहा कि लडक़ी की उम्र 18 वर्ष होने के बाद शादी कराएं, जिसे परिजनों ने स्वीकार किया। इसके बाद ग्रामीणों की मौजूदगी में पंचनामा बनाकर अग्रिम कार्यवाही की गई। इस तरह एक बार फिर पुलिस की सजगता से एक नाबालिग की शादी होते-होते टल गई।
प्रचार-प्रसार के अभाव में बाल विवाह
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की मानें तो आज भी कई लोगों को बाल विवाह से संबंधित कानून के बारे में जानकारी नहीं है, जबकि असल में शासन-प्रशासन द्वारा इसको लेकर प्रचार-प्रसार भी नहीं किया जाता है। और तो और गांवों में अभी लोग रूढ़ीवादी परंपरा को ढो रहे हैं। इसी का परिणाम है कि नाबालिगों की जिंदगी शादी के मंडप में फेरे लगाकर खराब की जा रही है।
बाल विवाह रोकने बनी समिति बेकाम
जिले में बाल विवाह रोकने के लिए तीन स्तर पर समिति बनी है। ग्राम स्तर की समिति में सरपंच, सचिव, पंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्वसहायता की महिलाएं समेत 10 सदस्य होते हैं। वहीं विकाखंड स्तर पर गठित समिति में एसडीएम, महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी, जनपद सदस्य समेत 20 सदस्य होते हैं, जबकि जिला स्तर की समिति में कलेक्टर समेत अन्य अधिकारी शामिल हैं। मगर असल में यह समितियां बेकाम हैं। सच कहें तो समितियोंं का कामकाज केवल कागजों में चल रहा है।
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