जांजगीर-चांपा. पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने अपना विकल्प बताकर छह विधानसभा सीटों के नेताओं के बीच खलबली मचा दी है। डॉ. महंत ने कहा है कि उनके लिए केवल सक्ती सीट ही नहीं, बल्कि मनेंद्रगढ़, जांजगीर-चांपा, जैजैपुर, कटघोरा और चंद्रपुर भी विकल्प है।
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डॉ. चरणदास महंत |
हालांकि, इसमें से केवल एक सीट जांजगीर-चांपा में ही कांग्रेस के विधायक हैं, लेकिन बाकी पांच सीटों में भी पूर्व विधायकों की दावेदारी तो रहेगी। डॉ. महंत ने कहा है कि 6 विधानसभा क्षेत्रों के पार्टी कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए उन पर दबाव बना रहे हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ. महंत का ग्रहग्राम सारागांव है, जो कि परिसीमन के बाद सक्ती विधानसभा क्षेत्र में चला गया है। गृहग्राम होने के नाते डॉ. महंत की यहां से दावेदारी तो रहेगी। बता दें कि सक्ती से मनहरण राठौर और उनकी पत्नी सरोजा मनहरण राठौर कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ते रहे हैं। हालांकि, तीन चुनाव में केवल एक बार ही 2008 में सरोजा राठौर विधायक चुनीं गईं थीं, जबकि राठौर दंपती दो बार चुनाव हार गई। इसलिए पार्टी के पास टिकट काटने का बहाना हो सकता है। डॉ. महंत छत्तीसगढ़ बनने से पहले चांपा विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं, जहां से वर्तमान में कांग्रेस के विधायक मोतीलाल देवांगन हैं। वे 2013 के पहले 2003 में भी चांपा से विधायक चुने गए थे। डॉ. महंत ने जांजगीर-चांपा को विकल्प बताकर अपरोक्ष रूप से विधायक देवांगन का टिकट कटवाने की बात कर दी है। यहां बताना लाजिमी होगा कि मनेंद्रगढ़ विधानसभा से कांग्रेस 1998 से पूर्व विधायक गुलाब सिंह को ही चुनाव लड़ाती रही है। वे चार में से दो चुनाव जीते। पिछले दो चुनाव में लगातार हार के कारण इस बार इनका पत्ता साफ किया जा सकता है। परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आए जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र का पहला चुनाव 2008 में कांग्रेस के प्रत्याशी महंत रामसुंदर दास ने जीता था, लेकिन वर्ष 2013 के चुनाव में बसपा ने यहां कब्जा किया और कांग्रेस के महंत रामसुंदर दास तीसरे स्थान पर रहे। इसी तरह कटघोरा विधानसभा क्षेत्र से वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व विधायक बोधराम कंवर दो बार विधायक रह चुके हैं। पिछले चुनाव में वे हार गए थे, लेकिन इस बार भी वे दावेदारी नहीं छोडऩे वाले हैं। इसलिए डॉ. महंत को यहां से टिकट लेने के लिए कंवर का मानमनौव्वल करना पड़ सकता है।
चंद्रपुर से टिकट लेने कोई दिक्कत नहीं
चंद्रपुर विधानसभा से टिकट लेने में डॉ. महंत को किसी तरह के विरोध या दिक्कत का सामना नहीं करना होगा, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से यहां कांग्रेस चुनाव हारती आ रही है।
सब कुछ तय करेगा आलाकमान कमान
पूर्व मंत्री डॉ. महंत ने कहा कि वे चुनाव लड़ेंगे या नहीं, यह आलाकमान तय करेगा। अगर, चुनाव लडऩा है तो किस सीट से यह फैसला भी आलाकमान ही लेगा।
गृहग्राम ही सरवोत्तम व सर्वश्रेष्ठ
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