चांदी के छत्र से सुशोभित होगी माॅं की मूरत तो हीरे-मोती व स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित श्रृंगार, 28 सितम्बर 2022 से प्रारंभ होकर छह अक्टूबर 2022 तक चलेगा दुर्गोत्सव
राजेन्द्र राठौड़@ जांजगीर-चांपा। सांस्कृतिक नगरी नैला में श्री श्री दुर्गा पूजा उत्सव सेवा समिति द्वारा इस बार 35 फिट ऊॅंची मिट्टी के स्वर्ण कमल पर माॅं दुर्गा की प्रतिमा विराजित की जाएगी। श्रद्धालुओं को यहां चांदी के छत्र से सुशोभित माॅं की मनमोहक मूरत नजर आएगी। सिर्फ इतना ही नहीं, विश्व शांति का प्रतीक दिल्ली का अक्षर धाम मंदिर रूपी 110 फिट ऊॅंचा भव्य प्रवेश द्वार प्रमुख आकर्षण का केन्द्र होगा। खास बात यह है कि हीरे-मोती एवं स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित माॅं का भव्य श्रृंगार भी होगा। दुर्गा उत्सव को लेकर आयोजन समिति ने तैयारियां शुरू कर दी है। नैला स्टेशन के बाहर प्रतिमा स्थापना के लिए भव्य डोम-पंडाल सजाया जा रहा है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ होता है। इस साल नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर सोमवार से हो रहा है। इस दौरान जहां जिलेभर में नौ दिनों तक देवी दुर्गा की आराधना होगी। वहीं नैला स्थित रेलवे स्टेशन के सामने रेल परिसर में मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित कर दुर्गोत्सव मनाया जाएगा। दरअसल, सांस्कृतिक नगरी नैला में श्री श्री दुर्गा पूजा उत्सव सेवा समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष अलग-अलग स्वरूप में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। पूर्व के वर्षों में यहां शंख, दस और पांच रुपए के सिक्के, चांदी के सिक्के, सोने-चांदी तथा हीरा-मोती जड़ित मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जा चुकी है। साथ ही आकर्षक झांकियां भी सजाई गई थी, जिसे देखने के लिए प्रदेश ही नहीं बल्कि, आसपास के राज्य मध्यप्रदेश, उड़ीसा, बिहार, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, झारखंड तथा अन्य कई राज्यों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे थे। यहां आयोजन समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष कुछ न कुछ नया करने का प्रयास किया जाता है।
इसी कड़ी में इस बार 28 सितम्बर 2022 को 35 फिट ऊॅंची मिट्टी के स्वर्ण कमल पर माॅं दुर्गा की प्रतिमा विराजित की जाएगी। श्रद्धालुओं को यहां चांदी के छत्र से सुशोभित माॅं की मनमोहक मूरत नजर आएगी तो वहीं विश्व शांति का प्रतीक दिल्ली का अक्षर धाम मंदिर रूपी 110 फिट ऊॅंचा भव्य प्रवेश द्वार प्रमुख आकर्षण का केन्द्र होगा। साथ ही हीरे-मोती एवं स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित माॅं का भव्य श्रृंगार भी होगा। यहां दुर्गा पूजन का कार्यक्रम 28 सितम्बर 2022 से प्रारंभ होकर छह अक्टूबर 2022 तक चलेगा, जिसकी तैयारियां प्रारंभ हो चुकी है। श्री श्री दुर्गा पूजा उत्सव सेवा समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि आयोजन स्थल पर विश्व शांति का प्रतीक दिल्ली का अक्षर धाम मंदिर रूपी 110 फिट ऊॅंचा भव्य प्रवेश द्वार तैयार करवाया जा रहा है। इस बार यहां 35 फिट ऊॅंची मिट्टी के स्वर्ण कमल पर विराजित एवं चांदी के छत्र से सुशोभित मां की मनमोहक मूरत देखने को मिलेगी। उन्होंने आगे बताया कि माॅं का हीरे-मोती एवं स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित माॅं का भव्य श्रृंगार होगा। दुर्गा उत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। आयोजकों ने बताया कि प्रचार-प्रसार भी प्रांरभ कर दिया गया है, ताकि मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा का अधिक से अधिक संख्या में श्रद्धालुजन दर्शन कर पुण्य लाभ उठा सकें।मुंबई की आकर्षक लाइटिंग व कलकत्ता की पुष्प सज्जा
नैला स्थित स्टेशन परिसर में आयोजित दुर्गोत्सव में पंडाल की लाइटिंग भी आकर्षक होगी। आयोजकों ने बताया कि मुंबई की प्रसिद्ध स्टेट लाइटिंग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही कोलकाता के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा पंडाल की फूलों से भव्य सजावट की जाएगी।
माॅं दुर्गा के साथ कई देवी-देवताओं की मनमोहक झांकी
नैला स्थित दुर्गा पंडाल में इस बार माॅं दुर्गा की प्रतिमा के अलावा श्री गणेश, कार्तिकेय, माॅं लक्ष्मी एवं माॅं सरस्वती की मनमोहक झांकी का दर्शन श्रद्धालुजनों को होगा। इसके अलावा यहां सुमधुर संगीत एवं रंग-बिरंगी लाइटों के साथ भाव-विभोर करने वाली माॅं दुर्गा की अद्भुत झांकी प्रमुख आकर्षण का केन्द्र होगी। आयोजकों ने बताया कि उत्सव के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर विशेष ध्यान रखा जाएगा।
दुर्गोत्सव को लेकर सांस्कृतिक नगरी नैला की खास पहचान
दुर्गोत्सव को लेकर सांस्कृतिक नगरी नैला की देशभर में खास पहचान बन चुकी है। यहां का दुर्गोत्सव छत्तीसगढ़ ही नहीं, वरन पूरे भारत की शान है। यही वजह है कि यहां स्थापित माता की प्रतिमा का दर्शन करने कई राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन पहुंचते हैं। खास बात यह है कि दुर्गोत्सव के दौरान रायगढ़-बिलासपुर मार्ग पर चलने वाली अमूमन सभी ट्रेनें श्रद्धालुओं से खचाखच भरीं होती हैं। वहीं कई लोग विभिन्न साधनों से यहां का दुर्गोत्सव देखने पहुंचते हैं।
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