जैजैपुर. ग्राम पंचायत झालरौंदा का आंगनबाड़ी भवन अत्यंत ही जर्जर अवस्था में है, जिसके कारण दो वर्षों से वहां आंगनबाड़ी संचालित नहीं हो पा रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता किसी तरह व्यवस्था करअपने घर से संचालित कर रही है, लेकिन अधिकांश बच्चे दूरी के कारण पहुंच नहीं पा रहे हैं तथा गर्भवती माताएंं एवं किशोरियां मिलने वाले लाभ से वंचित हो रही हैं।
जैजैपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम झालरौंदा औसत ग्रामों से कुछ बेहतर ग्राम है, लेकिन यहां संचालित आंगनबाड़ी जर्जर अवस्था में है। ग्रामीणों का आरोप है कि नया भवन निर्माण की स्वीकृति के लिए कमीशन बतौर मोटी रकम की मांग की जा रही है। कमीशन नहीं दिए जाने के कारण यहां आंगनबाड़ी के लिए नया भवन नहीं बन पा रहा है। इससे छोटे बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। जिला पंचायत के पूर्व सदस्य रमेश चंद्रा ने बताया कि जिले में डीएमएफ खनिज विकास निधि के तहत लगभग 200 करोड़ के कमीशन को लेकर बंदरबांट हुआ है, जबकि उसी राशि से आंगनबाड़ी भवन आदि बनाना था। उन्होंने बताया कि इस संबंध में उनके द्वारा कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया है, जिसमें कहा गया है कि बिना 10 प्रतिशत राशि दिए कोई कार्य नहीं हो रहा है, तब उन्होंने अपनी टिप लिखकर जिला पंचायत सीईओ के पास भेजी। उनका आरोप है कि सीईओ ने समस्या का समाधान करने के बजाय पहले तो उनसे बहसबाजी की और फिर गांव में जल्द आंगनबाड़ी के लिए भवन निर्माण कराने का आश्वासन दिया। मगर चार माह बाद भी आंगनबाड़ी के लिए नए भवन की स्वीकृति नहीं मिली है।
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