राजेन्द्र राठौर @ जांजगीर-चांपा. कुरदा गांव के किसान जगदीश की मौत मामले में बुधवार को फिर नया मोड़ आ गया। मृतक के परिजनों ने जिला प्रशासन को ही मौत का जिम्मेदार ठहरा दिया। उनका आरोप है कि मृतक 2008 से लगातार अपनी समस्या लेकर कलेक्टर जनदर्शन में गुहार लगाते रहा है, लेकिन उसकी समस्या का समाधान नहीं हो सका। इसके कारण जगदीश ने कलेक्टर जनदर्शन में ही जहर पीकर आत्महत्या कर लिया। इधर, जगदीश की मौत के बाद सांत्वना देने पहुंचे कांग्रेसियों पर भी ग्रामीणों ने अपना गुस्सा उतारा। उनका कहना था कि घटना के तत्काल बाद विधायक देवांगन, जिला कांग्रेस अध्यक्ष सहित अन्य नेताओं को घटना की सूचना दी गई, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। घटना के कई दिन बाद केवल राजनीति रोटी सेंकने के लिए यहां आने का क्या औचित्य है।
चांपा से लगे ग्राम कुरदा निवासी किसान जगदीश बघेल की कलेक्टर जनदर्शन में खुदकुशी मामले में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। ताजा खुलासा खुद मृतक के परिजनों ने मामले की जांच करने पहुंचे कांग्रेसियों के समक्ष किया। परिजनों ने कांग्रेसियों को बताया कि मृतक जगदीश 2008 से कलेक्टर जनदर्शन में आवेदन दे रहा था। इतना ही नहीं, उसने एसपी से लेकर पुलिस और मौत से तीन दिन पहले तहसील न्यायालय में आवेदन दिया था, लेकिन कहीं उसकी समस्या पर कार्रवाई नहीं हुई। इसके कारण जगदीश ने अपनी जान दे दी। इसके कारण उसकी मौत का जिम्मेदार जिला प्रशासन ही है। आपकों बता दें कि बुधवार को विधायक मोतीलाल देवांगन, जिला कांग्रेस अध्यक्ष मंजू सिंह, नगरपालिका अध्यक्ष राजेश अग्रवाल, शेषराज हरवंश, शशिकांता राठौर, प्रेमचंद जायसी सहित कांग्रेसी मृतक के घर पहुंचे थे।
कांग्रेसियों को ससम्मान बैठाने के बाद परिजन सहित ग्रामीणों ने उन पर अपना पूरा आक्रोश निकाल दिया। एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष जितेन्द्र जायसवाल का कहना था कि घटना के बाद उन्होंने विधायक देवांगन, जिला कांग्रेस अध्यक्ष सहित अन्य कांग्रेसियों को मोबाइल से कॉल कर सूचना दी, लेकिन किसी ने वहां पहुंचकर सहायता नहीं की। इसके चलते जिला प्रशासन अपने मकसद पर कामयाब हो गया। उसका कहना था कि मृतक कर्ज से लदा था। अब भी सहकारी बैंक में उसका पचास हजार रुपए का कर्ज है। उसके घर की हालत किसी से छिपी नहीं है। घर के सदस्य दाने-दाने को मोहताज हैं। ऐसे में जिला प्रशासन उसे सूदखोर बताकर क्या साबित करना चाहता है। ग्रामीणों का कहना है कि अब तक सांसद कमला पाटले, सक्ती विधायक खिलावन साहू, विधायक मोतीलाल देवांगन के बाद कांगे्रसी आए हैं, लेकिन यहां आकर केवल राजनीति करने से कोई फायदा नहीं है। बल्कि यहां आने का मतलब मृतक को न्याय दिलाना होना चाहिए। इस दौरान मृतक के परिजनों ने शासन के समक्ष मांग रखी कि जगदीश के दोनों बच्चों को सरकारी नौकरी और उन्हें पचास लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। उनकी बातों को सुनने के बाद कांग्रेसी उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिलाकर चलते बने।
सरकारी पट्टे को वापस दिलवाने का आश्वासन
बुधवार को पता चला कि 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत पांच एकड़ जमीन मिली थी। इस जमीन पर जगदीश खेती किसानी कर अपने परिवार का पेट पाल रहा था। खेती के लिए ही उसने न केवल अपनी एक एकड़ जमीन को गिरवी रखी, बल्कि उसके घर का जेवर सहित हर सामान गिरवी हो गया। आखिरकार उसने खेती के लिए ही साहूकारों से एक लाख रुपए ब्याज पर लिया। ब्याज की राशि को वह अदा कर चुका था, जबकि मूलधन का ब्याज चढ़ता जा रहा था। सूदखोरों से परेशान होकर उसने अपनी एकड़ जमीन बेच दी, लेकिन सूदखोरों ने पांच एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया। इसके अलावा सूदखोरों ने सरकार से मिले जमीन के पट्टे को भी अपने पास गैर कानूनी तरीके से रख लिया है। यह सुनकर कांग्रेसी हतप्रभ रह गए। इस दौरान कांग्रेसियों ने भरोसा दिलाया कि उसका सरकारी पट्टा तत्काल वापस दिलाया जाएगा। साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की जाएगी।
मौत के कई दिन बाद भी सामने नहीं आए कलेक्टर
जिला प्रशासन द्वारा मृतक जगदीश बघेल को सूदखोर बताए जाने को लेकर परिजन और ग्रामीण बेहद नाराज हैं। मामले की जांच करने आए कांग्रेसियों के समक्ष परिजन सहित ग्रामीणों ने कहा कि जगदीश का परिवार तंगहाली में दिन गुजार रहा है। घर की हालत को देखकर ही उसकी आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे में बगैर जांच पड़ताल किए जिला प्रशासन द्वारा मृतक को सूदखोर घोषित करना निंदनीय है। इसे लेकर एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष जितेन्द्र जायसवाल ने कांग्रेसियों से यहां तक कह दिया कि कांग्रेसियों के रहते ऐसा कृत्य करने वाले अब तक यहां हैं। वहीं दूसरी ओर, जनदर्शन में आत्महत्या करने के कई दिनों बाद भी कलेक्टर सामने नहीं आए हैं। न तो उन्होंने कोई बयान जारी किया है और न ही मृतक के घर पहुंचकर परिजनों का हाल-चाल जाना। जबकि पीएम के बाद शव के गांव पहुंचने पर पूरे कुरदा गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया था।
नहीं पहुंचे अकलतरा विधायक चुन्नीलाल, उठे सवाल
कलेक्टर जनदर्शन के दौरान कर्ज के तले दबे कृषक जगदीश बघेल द्वारा जहर खाकर आत्महत्या किए जाने के मामले को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने गंभीरता से लेते हुए मौत के कारणों की जांच के लिए सात सदस्यीय कमेटी गठित की है। इस जांच कमेटी में जिला कांग्रेस अध्यक्ष मंजू सिंह, विधायक मोतीलाल देवांगन, विधायक चुन्नीलाल साहू, पूर्व विधायक चैनसिंह सामले, प्रदेश सचिव शशिकांता राठौर, गोरेलाल बर्मन को शामिल कर आत्महत्या के कारणों की जांच की जिम्मेदारी दी गई है। जांच कमेटी बुधवार को सुबह 11 बजे ग्राम कुरदा पहुंची थी। कमेटी में शामिल छह सदस्य तो मृतक जगदीश के घर दिखे, लेकिन कमेटी के ही एक सदस्य व अकलतरा विधायक चुन्नीलाल साहू की अनुपस्थिति रही। इस बात को लेकर भी ग्रामीणों ने सवाल उठाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जो विधायक अपने पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष के निर्देशों का पालन करने तैयार नहीं है, वह मृतक जगदीश के परिजनों को आखिर क्या न्याय दिलवाएगा।
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