बुधवार, 7 मार्च 2018

पारिवारिक जिम्मेदारी के साथ ही राजनीति में सशक्त भूमिका निभा रही ‘ज्योति’, जिला पंचायत सदस्य के रूप में अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने प्रयास जारी

जांजगीर-चांपा. चारदिवारी में रहकर कभी चूल्हा-चौका तक सीमित रहने वाली ज्योति किशन कश्यप का नाम अब राजनीति के क्षेत्र में शुमार हो चुका है। वे पारिवारिक जिम्मेदारी के साथ ही राजनीति में सशक्त भूमिका निभा रही हैं। यही वजह है कि जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित होने के बाद से उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने हरसंभव प्रयास किया है। उनका यह प्रयास लगातार जारी है। नतीजतन, कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारी भी उन्हें खासा तवज्जों देते हैं। 

दरअसल, आठ मार्च को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा। इस मौके पर हमने विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी जिले की उन महिलाओं से बात की है, जो पारिवारिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने के साथ-साथ जनहित एवं समाजसेवा के कार्यों में अपनी सशक्त भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं। उन्हीं में से एक नाम जिला पंचायत सदस्य ज्योति किशन कश्यप का है, जो वर्तमान में जांजगीर-चांपा विधानसभा सीट से कांग्रेस की सशक्त दावेदार भी मानी जा रही हैं। वैसे तो राजनीति उन्हें विरासत में नहीं मिली है, लेकिन बहुत कम समय में ही स्वयं के दम पर उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। महिला दिवस के संबंध में चर्चा करने पर उन्होंने कई ऐसी महत्वपूर्ण बातें कही, जिससे यह कहना ही उचित होगा कि देश के विकास में नारी की बराबर की भागीदारी है। जिला पंचायत सदस्य ज्योति किशन कश्यप ने चर्चा में कहा कि एक ओर जहां हम शिक्षित होने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी ओर रूढि़वादी परंपरा अपनाते हुए महिलाओं को विभिन्न कारणों से प्रताडि़त करते हैं, क्या यही सभ्य समाज है। जब तक महिलाओं का सम्मान नहीं होगा, महिलाओं की अवहेलना होगी, भ्रूण हत्या जारी रहेगा और महिलाओं की अहमियत नहीं समझी जाएगी, तब तक समाज किसी भी हाल में सभ्य कहला ही नहीं सकता। जिला पंचायत ज्योति किशन कश्यप का समाज को संदेश है कि नारियों के दम पर दुनिया चलती है, क्योंकि पुरूष जन्म लेकर इन्हीं की गोद में पलता है। इसलिए हर महिला का सम्मान करना चाहिए, तभी देश का विकास संभव है।
 

रूढि़वादी परंपरा आज भी है हावी

उन्होंने कहा कि भारत में रूढि़वादी परंपरा आज भी हावी है, जिसके चलते कन्याओं की गर्भ में ही हत्या कर दी जाती है। इस वजह से भारत के कई राज्यों में लड़कियों की संख्या बहुत कम है। कई राज्यों में हालात ऐसे बन गए हैं कि वहां लडक़ों को शादी-ब्याह के लिए लडक़ी तक नहीं मिल रही है। यदि भ्रूण हत्या का खेल इसी तरह जारी रहा तो ऐसी समस्या समूचे भारत में निर्मित होगी। ज्योति ने कहा कि इंसान को यह नहीं भूलना चाहिए कि नारी द्वारा जन्म दिए जाने के कारण ही वह दुनिया में अपना अस्तित्व बना पाया है। महिलाओं को नकारना या अपमान करना सही नहीं हैं। भारतीय संस्क़ृति में महिलाओं को देवी दुर्गा आदि का यथोचित सम्मान दिया गया है। इसलिए महिलाओं को सम्मान दिया ही जाना चाहिए।
 

फिर तो सशक्तिकरण की बात मजाक

उन्होंने कहा कि यदि नारी को कमजोर आंका जाए तो देश कमजोर ही होगा। इस देश को मजबूत करने के लिए महिलाओं को मजबूत करना होगा। नारी कभी प्रेम की सर्वोच्चता पर राधा कहलाती हैं तो कभी मातृभूमि पर प्राण न्योछावर कर झांसी की रानी कहलाती है। कभी अंतरिक्ष में जाकर सुनीता विलियम्स और कल्पना चावला हो जाती है तो कभी खेल के मैदान में सानिया नेहवाल और सानिया मिर्जा बन जाती है तो कभी राजनीति में दुर्गा समझने वाली इंदिरा कहलाती है। कुप्रथाओं को खत्म किए बिना महिला सशक्तिकरण की बात करना केवल मजाक है।

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