बुधवार, 23 मई 2018

दिव्यांग विद्यालय के निर्माण के लिए बगैर अनुमति ठेकेदार करवा रहा ब्लास्टिंग, पॉलिटेक्नीक भवन के पास समय-बे-समय ब्लास्टिंग से घट सकती है बड़ी घटना

राजेंद्र राठौड़@जांजगीर-चांपा. लोक निर्माण विभाग के कार्यों में भष्टाचार चरम पर है। जिले में कोई भी ऐसा काम नहीं है, जिसमें भष्टाचार न हुआ हो। ठेकेदार से मिलीभगत कर इस विभाग के अफसर मालामाल हो रहे हैं। भले ही किसी भी निर्माण में गुणवत्ता रहे या न रहे, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है। हद की बात तो यह है कि इस विभाग के अफसरों ने अब दिव्यांग विद्यालय के निर्माण के लिए स्वीकृत राशि तक में अपनी नजर गड़ा दी है। यही वजह है कि पेण्ड्रीभाठा में दिव्यांग बच्चों के लिए निर्माणाधीन विद्यालय भवन में सबकुछ नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। ठेकेदार यहां पिछले कई दिनों से ब्लास्टिंग करवा रहा है, जिसके लिए किसी तरह की कोई अनुमति नहीं लिए जाने की बात सामने आई है। वहीं ढाई करोड़ रुपए के निर्माण में शुरूआत से ही गुणवत्ता तार-तार होती नजर आ रही है।

दरअसल, जिला मुख्यालय जांजगीर में दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष विद्यालय खोले जाने की स्वीकृति शासन ने दी है। पेण्ड्रीभाठा में इस विद्यालय भवन के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग ने ड्राइंग-डिजाइन तैयार कर शासन को भेजा था, जिसके आधार पर पौने तीन करोड़ रुपए की मंजूरी मिली। शासन से बजट मिलने के बाद ठेका प्रक्रिया प्रारंभ की गई। बताया जा रहा है कि भवन निर्माण का ठेका करीब 40 लाख कम में हुआ है। यह काम बिलासपुर के किसी ठेकेदार को मिला है। संबंधित ठेकेदार द्वारा हाल ही में निर्माण कार्य प्रारंभ करवाया गया है। वर्तमान में बेस ढलाई एवं कालम तैयार करने के लिए बेस खुदाई का काम चल रहा है। चूंकि जिस जगह पर दिव्यांग बच्चों के लिए विद्यालय भवन बन रहा है, वहां की जमीन पथरीली है। इसलिए ठेकेदार को बेस खुदाई करवाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी। काम में लगे मजदूर ड्रील मशीन और फावड़े से पत्थरों को नहीं निकाल पा रहे थे। नतीजतन, काम पिछड़ रहा था। इस परेशानी से बचने के लिए ठेकेदार ने पिछले तीन-चार दिनों से वहां ब्लास्टिंग करवाना शुरू कर दिया है। 

मौके पर इसके प्रमाण भी देखे जा सकते हैं। खास बात यह है कि ब्लास्टिंग करवाने के लिए ठेकेदार ने संबंधित विभाग से किसी तरह की अनुमति लेना तक मुनासिब नहीं समझा है। जिस जगह समय-बे-समय ब्लास्टिंग करवाया जा रहा है, उसके करीब ही पॉलिटेक्नीक भवन और केन्द्रीय विद्यालय संचालित है। पॉलिटेक्नीक में विद्यार्थियों समेत पूरा स्टॉफ भी मौजूद रहता है। वहीं अवकाश होने के चलते केन्द्रीय विद्यालय में कर्मचारी ही ड्यूटी पर रहते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, निर्माणाधीन भवन के बगल में ही मिनी स्टेडियम स्थित है, जहां आसपास के खिलाड़ी रोजाना खेलों का अभ्यास करने के लिए पहुंचते हैं। ऐसे संवेदनशील जगह पर अनुमति बगैर असुरक्षित ढंग से ब्लास्टिंग कराया जाना प्रथम दृष्टया ही कई सवालों को जन्म देता है। 

दूसरी ओर, निर्माण कार्य को प्रारंभ हुए अभी चंद दिन हो रहे हैं, फिर भी निर्माण कार्य में भर्राशाही साफ झलक रही है। बेस ढलाई में जहां घटिया किस्म के सीमेंट और गिट्टी का उपयोग किया जा रहा है। वहीं बेस ढलाई के लिए जो सरिया लाकर रखा गया है, उसकी क्वालिटी भी बेहद खराब है। दिलचस्प बात यह है कि आमलोगों को इस काम में जिस कदर भ्रष्टाचार होता दिख रहा है, वह लोक निर्माण विभाग के जिम्मेदार अफसरों को नजर ही नहीं आ रहा है। इससे बड़ी विडम्बना और हो भी क्या सकती है कि जिन अधिकारियों को इस कार्य के देखरेख एवं गुणवत्ता पर पैनी नजर रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वे ही ठेकेदार से मिलीभगत कर अपनी जेब भरते हुए निर्माण की गुणवत्ता को तार-तार करने में लगे हुए हैं।
 


कुछ तो शर्म करो जिम्मेदारों

लोक निर्माण विभाग के जांजगीर स्थित उप संभाग कार्यालय से लेकर चांपा स्थित संभागीय कार्यालय तक में इन दिनों भ्रष्टाचार चरम पर है। ठेकेदारों से मिलीभगत कर विभाग के अमूमन सभी अफसर अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं। शर्मनाक बात यह है कि दिव्यांग बच्चों के लिए स्वीकृत विद्यालय भवन के निर्माण में भी ये अफसर भ्रष्टाचार करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। यही वजह है कि निर्माण के प्रारंभ से ही गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है। गौर करने वाली बात यह भी है कि इतना सबकुछ कलेक्टर एवं जिला पंचायत सीईओ की आंखों के सामने हो रहा है, फिर भी वे अपनी आंखों में पट्टी बांधे हुए हैं, जिसके चलते लोक निर्माण विभाग के अफसरों एवं ठेकेदार के हौसले बुलंद हैं।
 


ठेकेदार को पहुंचा रहे लाभ

बताया जा रहा है कि दिव्यांग बच्चों के लिए पेण्ड्रीभाठा में निर्माणाधीन विद्यालय भवन का टेण्डर करीब पौने तीन करोड़ रुपए का निकाला गया था, जिसे बिलासपुर के ठेकेदार ने करीब 40 लाख रुपए नुकसान सहकर लिया है। इसके पीछे भी अफसरों की गणितबाजी कुछ कम नहीं है। ठेकेदार को हुए नुकसान की भरपाई के लिए उसे ही विद्यालय भवन में विद्युतीकरण कार्य का ठेका दिलवा दिया गया है, जिसकी लागत करीब डेढ़ करोड़ रुपए है। इस तरह विभागीय अफसरों ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाकर उससे मिलने वाले कमीशन से अपनी जेबें भरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

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