बुधवार, 5 सितंबर 2018

अपराधमुक्त भारत की परिकल्पना को करेंगे साकार-आकाश भारद्वाज, क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कार्यशाला को किया संबोधित


जांजगीर-चांपा। अपराधमुक्त भारत की परिकल्पना को लेकर क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स का गठन किया गया है। यह एक गैरराजनीतिक संगठन है, जिसका उद्देश्य देश में हो रहे भ्रष्टाचार, अपराध और अन्य अनुचित कार्यों को शासन-प्रशासन के सहयोग से नियंत्रित करना है। इसलिए हमारा प्रथम दायित्व है कि हम अपने संगठन के मूल सिद्धांत के अनुरूप कार्य करते हुए अपराधमुक्त भारत की परिकल्पना को साकार करें, ताकि एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो और पूरे विश्व में भारत की पहचान अपराधमुक्त देश के रूप में बन सके।

ये बातें क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आकाश भारद्वाज ने कही। वे बुधवार को जिला मुख्यालय जांजगीर के हॉटल स्टार इंटरनेशनल में क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स आरटीआई प्रकोष्ठ के छत्तीसगढ़ इकाई द्वारा आयोजित कार्यशाला सह विचार संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष भारद्वाज ने कहा कि क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स नेताजी सुभाषचंद्र बोस के सिद्धांत और विचारधाराओं पर चलने वाला देश का एक बड़ा संगठन है, जिसकी नींव संस्थापक शिवराज स्वराज ने वर्षों पहले रखी थी। दिल्ली और ग्रेटर नोयडा से शुरू हुए इस संगठन का विस्तार आज देश के 22 राज्यों में हो चुका है। संगठन से जुड़े पदाधिकारी एवं सदस्य संगठन की नीति एवं सिद्धांतों का पालन करते हुए अपराधमुक्त भारत की परिकल्पना को साकार करने में पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष राघवेन्द्र पाठक एवं उनके साथियों ने बहुत कम समय में ही प्रदेश के कई जिलों में संगठन का विस्तार किया है, जिसका प्रमाण इस कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न जिलों से पहुंचे साथियों की मौजूदगी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आगे कहा कि संगठन में रहकर हम वे सभी कार्य कर सकते हैं, जिससे भारत अपराधमुक्त बन सके। मगर संगठन से जुड़कर किसी तरह के अनैतिक कार्य करने वाले पदाधिकारी अथवा सदस्य बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। यदि संगठन से जुड़े लोग किसी तरह की गड़बड़ी करते हैं अथवा संगठन की छवि को धूमिल करने की कोशिश करते हैं तो उनके विरूद्ध कार्यवाही करने में थोड़ा भी विलंब नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स का मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार को मिटाना है, इसलिए संगठन के सभी साथियों से आग्रह है कि वे ऐसे व्यक्ति को ही इस संगठन से जोड़े, जो संगठन की रीति-नीति को समझकर उसके अनुरूप कार्य करने की सोंच रखता हो। राष्ट्रीय अध्यक्ष भारद्वाज ने आगे कहा कि क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स समय-समय पर विभिन्न तरह के कैम्पैन चलाता रहा है। इसी कड़ी में बहुत जल्द ही बाल मजदूर निषेध अधिनियम के तहत कैम्पैन शुरू किया जाएगा, जिसके अंतर्गत संगठन के पदाधिकारी एवं सदस्य ऐसे स्थानों पर अपनी नजर रखेंगे, जहां बाल मजदूरों को नियोजित कर उनका शोषण किया जा रहा है। संगठन के पदाधिकारी एवं सदस्य ऐसे मामलों की सूचना सबसे पहले प्रदेश एवं राष्ट्रीय पदाधिकारियों को देंगे, उसके बाद ही पूरे साक्ष्य के साथ मामले की शिकायत शासन-प्रशासन से की जाएगी, ताकि शासन-प्रशासन उस पर त्वरित कार्यवाही करे और संगठन अपने उद्देश्य में कामयाब हो सके। आरटीआई के संबंध में उन्होंने कहा कि यह आम आदमी का सबसे बड़ा हथियार है, जिसके जरिए शासन-प्रशासन के कार्यों में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया जा सकता है, लेकिन आरटीआई लगाने के नियम-कायदे भी हैं, जिसका पालन करना जरूरी है। उन्होंने आगाह किया कि संगठन के पदाधिकारी आरटीआई लगाकर जानकारी हासिल करने के बाद उसका सदुपयोग करेंगे। यदि वे उससे आर्थिक लाभ की चेष्टा करते हैं और इसकी शिकायत अथवा जानकारी हमें मिलती है तो वह बर्दाश्तयोग्य नहीं होगा। इसलिए सभी साथी पहले संगठन की रीति-नीति को भलिभांति समझ लें, उसके बाद यदि उन्हें लगता है कि वे इस संगठन में रहकर काम करने में असमर्थ हैं तो स्वतः ही संगठन से अलग हो जाएं। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने संगठन के सिद्धांतों एवं कार्ययोजना के साथ ही आरटीआई से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। संगठन के मुख्य संगठन मंत्री भानुप्रकाश ने कहा कि इस कार्यशाला को आयोजित करने के पीछे का मुख्य कारण संगठन के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करना है। संगठन के प्रत्येक पदाधिकारी एवं सदस्य का दायित्व है कि वे विभिन्न वर्ग के अच्छे-अच्छे लोगों को इस संगठन से जोड़कर अपराधमुक्त भारत की परिकल्पना को साकार करने में अपनी अहम भूमिका निभाएं। इससे नाम के साथ ही समाज में सम्मान भी प्राप्त होगा, जिसकी चेष्टा प्रत्येक व्यक्ति रखता है। कार्यशाला को प्रदेश अध्यक्ष राघवेन्द्र पाठक एवं महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती सुनीता पाण्डेय ने भी संबोधित किया। इस दौरान राष्ट्रीय अनुशासन कमेटी को पांच सदस्यीय से बढ़ाकर सात सदस्यीय किया गया, जिसमें संगठन के सभी पदाधिकारियों की सहमति से श्रीमती अर्चना त्यागी एवं श्री दीनदयाल शर्मा जी को अनुशासन कमेटी का सदस्य नियुक्त किया गया। कार्यशाला के प्रथम सत्र की शुरूआत राष्ट्रीय अध्यक्ष आकाश भारद्वाज, मुख्य संगठन मंत्री भानुप्रकाश, राष्ट्रीय सलाहकार मनमोहन सावडिया, आरटीआई प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष राघवेन्द्र पाठक और महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती सुनीता पाण्डेय ने मां सरस्वती एवं नेताजी सुभाषचंद्र बोस के तैल्यचित्र के समक्ष धूप-दीप प्रज्जवलित कर की। इसके बाद उपस्थित अतिथियों के सम्मान में संगठन के संभाग अध्यक्ष रामकृष्ण राठौर ने स्वागत भाषण दिया। इसी कड़ी में संगठन के प्रदेश एवं जिला स्तर के पदाधिकारियों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित सभी अतिथियों का फूल-माला से स्वागत किया। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष आकाश भारद्वाज, मुख्य संगठन मंत्री भानुप्रकाश एवं प्रदेश अध्यक्ष राघवेन्द्र पाठक का प्रदेश संगठन की ओर से स्मृति चिन्ह, शॉल, श्रीफल भेंटकर सम्मान किया गया। इसके बाद प्रदेश एवं जिला स्तर के पदाधिकारी तथा सदस्यों को प्रदेश संगठन की ओर से सम्मान पत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रदेश संरक्षक केदार सिंह राठौर और आभार प्रदर्शन प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेन्द्र राठौर ने किया।

आम आदमी का बड़ा हथियार आरटीआई-भतपहरी

कार्यशाला के प्रथम सत्र में प्रथम अपर जिला सत्र न्यायाधीश सुश्री संघरत्ना भतपहरी ने उपस्थित पदाधिकारी एवं सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम आम आदमी का बड़ा हथियार है। इस अधिनियम से जानकारी प्राप्त कर बड़े-बड़े भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया जा सकता है, लेकिन इसमें भी कई प्रावधान है। न्यायालयीन व्यवस्था की बात करें तो किसी भी प्रकरण की जानकारी आरटीआई से प्राप्त नहीं की जा सकती, क्योंकि प्रकरण जब तक अभिलेखागार में न चला जाए, तब तक प्रमाणित जानकारी देना संभव नहीं है। इसी तरह बीस वर्ष से अधिक पुराने मामलों की जानकारी भी नहीं दी जा सकती, क्योंकि उसे तैयार करने में न्यायालय का काफी समय बर्बाद हो सकता है। न्यायालयीन व्यवस्था के तहत उन्हीं मामलों की जानकारी दी जा सकती है, जिस पर निर्णय पारित हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि आरटीआई के तहत न्यायालयीन प्रक्रिया की जानकारी देना अथवा नहीं देना जिला एवं सत्र न्यायाधीश पर निर्भर करता है। न्यायालय को लगता है कि कोई आवेदक ऐसी जानकारी मांग रहा है, जो न्याय व्यवस्था के अनुरूप नहीं है तो उस आवेदन को रद्द किया जा सकता है। उन्होंने आरटीआई अधिनियम के तहत आवेदन लगाने से लेकर प्रथम अपील एवं द्वितीय अपील के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया किया किसी मामले की प्रमाणित जानकारी मिलने के बाद भी शासन-प्रशासन उस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है तो आवेदक न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है, उस पर न्यायाधीश सुनवाई कर उचित निर्णय पारित करेंगे। मीडिया के संबंध में उन्होंने कहा कि पत्रकारों को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। इसलिए पत्रकार का दायित्व है कि वे झूठी खबरों को महत्व न दें। ऐसी खबरों का प्रकाशन बिल्कुल न करें, जो भ्रामक हो और जिसका गलत प्रभाव समाज पर पड़ सकता हो। वर्तमान दौर में मीडिया की भूमिका एवं आरटीआई से संबंधित जानकारी देते हुए उन्होंने शंकाओं का समाधान भी किया तथा अंत में संगठन को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। इस दौरान संगठन की ओर से स्मति चिन्ह, शॉल और श्रीफल भेंटकर उनका सम्मान किया गया

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