शनिवार, 1 अप्रैल 2017

बाल विवाह कराया तो मिलेगी कठोर सजा, पुरोहित को भी जाना पड़ेगा हवालात

दो वर्ष कारावास और एक लाख तक जुर्माने का प्रावधान

 

जांजगीर-चांपा. कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने समाज में व्याप्त बाल विवाह की कुप्रथा को समाप्त करने के लिए जनप्रतिनिधियों, स्वयं सेवी संगठनों और आमजनों से सहयोग का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि बाल विवाह कानूनन अपराध ही नहीं बल्कि, सामाजिक अभिशाप भी है। सामाजिक तौर पर व्याप्त इस बुराई को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। 

उन्होंने अपने अपील में कहा है कि यह कुप्रथा प्राय: रामनवमीं, अक्षय तृतीया जैसी तिथियों में बड़ी संख्या में होती है, जो प्रदेश और समाज को शर्मसार करती है। कलेक्टर ने जारी अपील में कहा है कि बाल विवाह के गंभीर दुष्परिणाम न केवल बच्चों को बल्कि, पूरे परिवार व समाज को भुगतने पड़ते हैं। बाल विवाह बच्चों के अधिकार का निर्मम उल्लंघन है। बाल विवाह से बच्चों के पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने के अधिकार के साथ ही अच्छा स्वास्थ्य पोषण, शिक्षा पाने और हिंसा, उत्पीडऩ व शोषण से बचाव के मूलभूत अधिकारों का हनन होता है। कम उम्र में विवाह से बालिका का शारीरिक विकास रूक जाता है। गंभीर संक्रामक यौन बिमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है और उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पडता है। जल्दी विवाह अर्थात जल्दी मां बनने के कारण कम उम्र की मां और उसके बच्चे दोनों की जान और सेहत खतरे में पड़ जाती है। 

कम उम्र में प्रजनन अंगों के पूर्ण विकसित नहीं होने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की मां के नवजात शिशुओं का वजन कम रह जाता है। साथ ही कुपोषण व खून की कमी की भी ज्यादा आशंका रहती है। ऐसे प्रसवों में शिशु मृत्यु दर और प्रसूता मृत्यु दर ज्यादा पायी जाती है। बाल विवाह की वजह से बहुत सारे बच्चे अशिक्षित और अकुशल रह जाते है, जिससे उनके सामने अच्छा रोजगार पाने और बडे होने पर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की ज्यादा संभावना नहीं बचती है। कलेक्टर डॉ. भारतीदासन ने नागरिकों से कहा है कि यदि कहीं बाल विवाह की सूचना प्राप्त होती है तो तत्काल नजदीकी थाना या जिला प्रशासन को इसकी सूचना दें। कानून का उलंघन करने वाले के विरूद्ध आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। 

बाल विवाह प्रतिषेध कानून के तहत बाल विवाह कराने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बराती तथा विवाह कराने वाले पुरोहित, जो बाल विवाह को बढ़ावा देता है, उसकी अनुमति देता है अथवा बाल विवाह में सम्मिलित होता है, उनके विरूद्ध दो वर्ष कठोर कारावास अथवा जुर्माने का प्रावधान है। जुर्माना एक लाख रुपए तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है।  बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार लडक़ी की शादी 18 वर्ष एवं लडक़े की शादी 21 वर्ष से पहले नहीं होना चाहिए।

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