राजेंद्र राठौर@जांजगीर-चांपा. मां के गर्भ में पल रही बेटियों को हर हाल में बचाने तथा उन्हें पढ़ा-लिखाकर होनहार बनाने का दावा करने वाली केन्द्र और राज्य सरकार की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर है। दोनों सरकारें, उनके नुमाइंदे और भाजपा के कर्ताधर्ता एक ओर जहां ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का राग अलाप रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ड्यूटी के दौरान शराब के नशे में चूर होकर स्कूल पहुंचने तथा मासूम बेटियों को अश्लील शायरी सुनाने वाले शिक्षक को मनमानी करने की खुली छूट दी जा रही है। यही वजह है कि शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला तिलई के एक शराबी शिक्षक की सारी करतूतें खुलकर सामने आने के पखवाड़े भर बाद भी उसके खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गई है, जबकि जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से मामले की जांच रिपोर्ट जिला पंचायत सीईओ तक पहुंच चुकी है। इसके बाद भी संबंधित शिक्षक के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होने से सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के औचित्य पर सवाल उठने लगे हैं।
दरअसल, 26 सितंबर को अकलतरा विकासखंड के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला तिलई में पदस्थ एक शराबी शिक्षक के नशे में धुत्त होकर स्कूल पंहुचते ही बवाल मचा था। आठवीं कक्षा की एक छात्रा उस शिक्षक को देखते ही घर भाग गई थी। वहीं दो छात्रा, उस शिक्षक के डर से उस दिन स्कूल ही नहीं पंहुची थी। इस मामले के संबंध में जब तह तक पहुंचकर जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि इस में पदस्थापना के बाद से ही शिक्षाकर्मी वर्ग-दो यशवंत उपाध्याय शराब के नशे में धुत्त होकर स्कूल पंहुचते रहे हैं। वे शराब के नशे में धुत्त होकर कमरा बंदकर आठवीं की छात्राओं को अश्लील शायरी और जोक्स सुनाते हैं। बीते 23 सितंबर को जब वे छात्राओं को बंद कमरे में अश्लील शेरो-शायरी सुना रहे थे, तब संकुल स्तरीय चर्चा बैठक में शामिल होने पंहुची एक शिक्षिका कमरे में गई तो शराबी शिक्षक ने उससे भी छेड़छाड़ की। इस घटना के तीन दिन बाद 26 सितम्बर को संबंधित शिक्षक एक बार फिर शराब के नशे में धुत्त होकर स्कूल पहुंचे तथा हंगामा होने पर स्कूल से भाग गए।
पंचायत प्रतिनिधियों ने उसे समझाइश देने बुलाया तो वे फिर स्कूल आए, लेकिन मीडिया और जांच अधिकारी के पहुंचने की जानकारी मिलते ही फिर भाग गए। इसके बाद मीडिया, पंचायत प्रतिनिधियों और स्कूल स्टाफ के सामने कक्षा आठवीं की छात्राओं, शिक्षिका और अन्य लोगों ने पूरे मामले का विस्तार से खुलासा किया था। मामले में पहले दिन ही डीईओ ने शिक्षक यशवंत उपाध्याय के निलंबन की अनुशंसा सहित फाइल जिला पंचायत सीईओ के पास भेजने की बात कही थी। वहीं जिला पंचायत सीईओ ने फाइल मिलते ही मामले में कार्यवाही करने का दावा किया था, लेकिन फाइल शायद बैलगाड़ी से भेजी गई है, तभी तो घटना के सामने आने के पखवाड़े भर बाद भी संबंधित शिक्षक पर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई है। यहां बताना लाजिमी होगा कि जिस विभाग ने जांच के बाद निलंबन की कार्यवाही करने की बात कही है, उस जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से जिला पंचायत की दूरी बमुश्किल दो किलोमीटर है। वहीं जिला पंचायत सीईओ ने भी फाइल प्राप्त होने के तत्काल बाद आरोपी शिक्षक को निलंबित करने का दावा किया है, किंतु पखवाड़े भर बाद भी शराबी शिक्षक की करतूतों की फाइल दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित जिला पंचायत नहीं पहुंच पाना सरकारी सिस्टम पर गंभीर सवाल उठाने काफी है।
महिला आयोग की अध्यक्ष का दावा हवा-हवाई
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला तिलई में पदस्थ शराबी शिक्षक यशवंत उपाध्याय की सारी करतूतों की खबर 26 सितम्बर को ही राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय को मोबाइल के माध्यम से दी गई थी। पूरा मामला समझने के बाद आयोग अध्यक्ष पाण्डेय ने इस मामले को गंभीर बताते हुए तत्काल कलेक्टर तथा जिला शिक्षा अधिकारी से बात कर संबंधित शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करवाने का दावा किया था। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया था कि यदि आवश्यकता पड़ी तो महिला आयोग इस मामले की जांच कर आयोग को प्रदत्त अधिकारों के तहत कार्यवाही भी करेगी, लेकिन आयोग अध्यक्ष पाण्डेय का दावा भी हवा-हवाई साबित हुआ है। अब देखना यह है कि 11 अक्टूबर को वे जिला मुख्यालय जांजगीर में आयोजित बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ सम्मेलन में शामिल होने पहुंच रही हैं। इस दौरान वे तिलई स्कूल के उस शराबी शिक्षक के संबंध में हुई कार्यवाही की जानकारी लेती भी हैं या फिर कार्यक्रम में अपना स्वागत सत्कार कराकर वाहवाही लूटने के बाद वापस लौट जाएंगी, यह समय बताएगा।
मामला छोटे गांव का, इसलिए नहीं बना चर्चित
तिलई के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में घटित घटना यदि देश के महानगरों में हुई रहती तो यह चौबीसों घंटे इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया में छाए रहने वाली घटना रहती। दिल्ली में यदि ऐसा खुलासा होता तो चंद मिनट के भीतर संबंधित के खिलाफ कार्यवाही हो चुकी होती। वहीं प्रदेश की राजधानी रायपुर में इस तरह के खुलासे के बाद संभवत: कुछ घंटे में निलंबन की घोषणा हो चुकी होती, लेकिन मामला जांजगीर-चांपा जिले के एक छोटे से गांव का है, इसलिए यह मामला चर्चित नहीं हुआ। इस मामले में न तो जनप्रतिनिधि कोई रूचि ले रहे हैं और न प्रशासनिक अधिकारी। इसलिए अब तक शराबी शिक्षक के खिलाफ किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं हो पाई है। इससे ऐसा लगता है मानों जिले के जनप्रतिनिधियों को बेटियों की इज्जत से ज्यादा चिंता शायद अपने वोट बैंक की है। इसीलिए वे चुप्पी साधे हुए हैं।
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