जांजगीर-चांपा. छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना वैसे तो उन लोगों के लिए है, जो 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके हैं और आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण दर्शन के लिए वे देवस्थलों में नहीं पहुंच पा रहे हैं, लेकिन शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना का जिले में स्वरूप ही बदल दिया गया है। इस योजना के क्रियान्वयन में जिले समेत पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर हो रही गड़बड़ी के चलते शासन ने भले ही चयन प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है, लेकिन इसके बाद भी योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़झाला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यही वजह है कि शासन-प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद जिले के दर्जनों अपात्र लोग इस बार भी बुजुर्गों के हक पर डाका डालकर मुफ्त में यात्रा करने सफल हो गए।
दरअसल, आर्थिक रूप से कमजोर बुजुर्गों को धार्मिक स्थलों का भ्रमण करवाने के उद्देश्य राज्य सरकार पिछले कुछ वर्षों से छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना चला रही है। शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके लोगों को तीर्थ स्थलों का भ्रमण करवाया जाता है। कुछ वर्ष पूर्व तक इस योजना के तहत नगरीय निकायों एवं ग्राम पंचायतों में सीधे आवेदन लिया जा रहा था, जहां से सारे आवेदन जिला पंचायत के समाज कल्याण विभाग में पहुंच रहे थे। इसके बाद यहां से पात्र-अपात्र की सूची तैयार कर दावा-आपत्ति के बाद अंतिम चयन सूची जारी की जा रही थी। इतना सबकुछ होने के बावजूद अपात्र लोग इस योजना के तहत तीर्थ यात्रा करने में कामयाब हो जा रहे थे, जिसकी शिकायत शासन स्तर पर लगातार पहुंच रही थी। इसके मद्देनजर शासन ने प्रक्रिया में बदलाव करते हुए ऑनलाइन आवेदन व्यवस्था लागू की। इस व्यवस्था के तहत आवेदकों को सीधे ऑनलाइन आवेदन करना है, जिसके आधार पर पात्र-अपात्र की सूची जारी करते हुए दावा-आपत्ति मंगाई जाती है।
यहां तक तो सब ठीक है, लेकिन शासन-प्रशासन की इतनी सख्ती के बावजूद पिछले बार की तरह इस बार भी दर्जनों अपात्र लोग इस योजना के तहत तीर्थ यात्रा करने में कामयाब हो गए। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना के तहत मथुरा जन्मभूमि एवं वृंदावन के लिए जिले से यात्रियों का जत्था स्पेशल ट्रेन के जरिए बीते 27 जुलाई को रवाना हुआ था। यात्रा की वापसी 30 जुलाई को हुई। तीन दिवसीय इस यात्रा में जांजगीर समेत आसपास के कई गांवों के दर्जनों अपात्र लोग भी शामिल हुए हैं। बताया जा रहा है कि इस योजना के क्रियान्वयन से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों ने युवक-युवतियों एवं अपात्रों को बुजुर्गों का सहयोगी बताकर मथुरा एवं वृंदावन की यात्रा करवाई है। इसकी पुष्टि चयन सूची से हो रही है।
चयन सूची में ऐसे-ऐसे लोगों के नाम हैं, जिनकी आयु 30 से 50 वर्ष के बीच है। बावजूद इसके उन्हें नियम-कायदों को ताक पर रखकर सरकारी यात्रा करवाई गई है। बहरहाल, शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ पात्र लोगों को मिले या न मिले, लेकिन जिम्मेदारों की मेहरबानी से जिले के युवक-युवती और अपात्र लोग इस योजना के तहत देश के धार्मिक स्थलों का सैर-सपाटा करने में जरूर कामयाब हो जा रहे हैं।
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