गुरुवार, 2 अगस्त 2018

योजना बुजुर्गों की, जवान करके आ गए मथुरा-वृंदावन की यात्रा, ऑनलाइन आवेदन के बावजूद नहीं थम रहा मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना के क्रियान्वयन में फर्जीवाड़ा

जांजगीर-चांपा. छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना वैसे तो उन लोगों के लिए है, जो 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके हैं और आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण दर्शन के लिए वे देवस्थलों में नहीं पहुंच पा रहे हैं, लेकिन शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना का जिले में स्वरूप ही बदल दिया गया है। इस योजना के क्रियान्वयन में जिले समेत पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर हो रही गड़बड़ी के चलते शासन ने भले ही चयन प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है, लेकिन इसके बाद भी योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़झाला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यही वजह है कि शासन-प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद जिले के दर्जनों अपात्र लोग इस बार भी बुजुर्गों के हक पर डाका डालकर मुफ्त में यात्रा करने सफल हो गए।
दरअसल, आर्थिक रूप से कमजोर बुजुर्गों को धार्मिक स्थलों का भ्रमण करवाने के उद्देश्य राज्य सरकार पिछले कुछ वर्षों से छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना चला रही है। शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके लोगों को तीर्थ स्थलों का भ्रमण करवाया जाता है। कुछ वर्ष पूर्व तक इस योजना के तहत नगरीय निकायों एवं ग्राम पंचायतों में सीधे आवेदन लिया जा रहा था, जहां से सारे आवेदन जिला पंचायत के समाज कल्याण विभाग में पहुंच रहे थे। इसके बाद यहां से पात्र-अपात्र की सूची तैयार कर दावा-आपत्ति के बाद अंतिम चयन सूची जारी की जा रही थी। इतना सबकुछ होने के बावजूद अपात्र लोग इस योजना के तहत तीर्थ यात्रा करने में कामयाब हो जा रहे थे, जिसकी शिकायत शासन स्तर पर लगातार पहुंच रही थी। इसके मद्देनजर शासन ने प्रक्रिया में बदलाव करते हुए ऑनलाइन आवेदन व्यवस्था लागू की। इस व्यवस्था के तहत आवेदकों को सीधे ऑनलाइन आवेदन करना है, जिसके आधार पर पात्र-अपात्र की सूची जारी करते हुए दावा-आपत्ति मंगाई जाती है। 
 
यहां तक तो सब ठीक है, लेकिन शासन-प्रशासन की इतनी सख्ती के बावजूद पिछले बार की तरह इस बार भी दर्जनों अपात्र लोग इस योजना के तहत तीर्थ यात्रा करने में कामयाब हो गए। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना के तहत मथुरा जन्मभूमि एवं वृंदावन के लिए जिले से यात्रियों का जत्था स्पेशल ट्रेन के जरिए बीते 27 जुलाई को रवाना हुआ था। यात्रा की वापसी 30 जुलाई को हुई। तीन दिवसीय इस यात्रा में जांजगीर समेत आसपास के कई गांवों के दर्जनों अपात्र लोग भी शामिल हुए हैं। बताया जा रहा है कि इस योजना के क्रियान्वयन से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों ने युवक-युवतियों एवं अपात्रों को बुजुर्गों का सहयोगी बताकर मथुरा एवं वृंदावन की यात्रा करवाई है। इसकी पुष्टि चयन सूची से हो रही है। 
 
चयन सूची में ऐसे-ऐसे लोगों के नाम हैं, जिनकी आयु 30 से 50 वर्ष के बीच है। बावजूद इसके उन्हें नियम-कायदों को ताक पर रखकर सरकारी यात्रा करवाई गई है। बहरहाल, शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ पात्र लोगों को मिले या न मिले, लेकिन जिम्मेदारों की मेहरबानी से जिले के युवक-युवती और अपात्र लोग इस योजना के तहत देश के धार्मिक स्थलों का सैर-सपाटा करने में जरूर कामयाब हो जा रहे हैं।
 

अपात्रों ने छह-छह बार कर ली यात्रा

शहर सहित आसपास के कुछ लोगों ने शासन की इस योजना को अपनी बफौती समझ ली है। यही वजह है कि वे इस योजना के तहत बार-बार यात्रा करने में कामयाब हो जा रहे हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि ऐसे लोगों की आयु 60 वर्ष पूर्ण भी नहीं हुई है, लेकिन जिम्मेदारों की मेहरबानी से वे मुफ्त में यात्रा करने सफल हो जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि शहर के कई लोगों ने इस योजना के तहत लगातार छह-छह बार धार्मिक स्थलों की यात्रा की है, जबकि शासन के नियम के तहत उन्हें इस योजना के अंतर्गत मुफ्त यात्रा की पात्रता ही नहीं है।
 

शहरी इलाके से ग्रामीणों का चयन

छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना शुरू से ही विवादों में रही है। योजना को पारदर्शी बनाने शासन-प्रशासन भले ही लाखों प्रयास कर ले, लेकिन अपात्र लोग मुफ्त में यात्रा कर ही ले रहे हैं। इस योजना के तहत बनी चयन सूची पर गौर करें तो नगरपालिका जांजगीर-नैला के कोटे से आसपास के कई गांवों के अपात्र लोगों ने मुफ्त यात्रा की है। सिर्फ इतना ही नहीं, शहर के पुरानी बस्ती, सडक़ पारा, डुमरिहापारा, चंदनियापारा सहित कई मोहल्लों के लोगों ने इस योजना के तहत लगातार यात्रा की है, जिसकी पुष्टि पुरानी चयन सूची से हो रही है।
 

जिम्मेदार लगा रहे योजना पर पलीता

वैसे तो यह शासन की अत्यंत महत्वपूर्ण योजना है, जिसका लाभ यदि वास्तव में पात्रों को मिले तो इस योजना के क्रियान्वयन की सार्थकता सिद्ध हो सकती है, लेकिन नगरीय निकाय एवं पंचायत विभाग के लिपिक ही इस योजना में पलीता लगा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वे दो से पांच हजार रुपए तक वसूल कर अपात्रों को बार-बार धार्मिक स्थलों की यात्रा करवा रहे हैं, जिसकी शिकायत पूर्व में कलेक्टर से लेकर जिला पंचायत सीइओ तक पहुंच चुकी है। बावजूद इसके, जिम्मेदार अधिकारी उचित कार्यवाही करने के बजाय अपनी आंखों में पट्टी बांधकर योजना के क्रियान्वयन में फर्जीवाड़े को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं। हद की बात तो यह भी है कि जिला पंचायत की बैठकों में इस मुद्दे को जिला पंचायत सदस्यों ने कभी नहीं उठाया है, जिसके कारण योजना की आड़ में कमाई का खेल जारी है।

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